NavGurukul - Restructuring Indian Education
Register
Advertisement

पढ़ाने लायक विषय तो पहले से ही तय हैं. फिर उन्हें फिर से देखने का क्या मतलब? इसमें नया क्या है?'[]

हमारी आज की शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से विदेशी शिक्षा की (प्रायः निम्नस्तरीय) नकल है. हमने अपने विदेशी शासकों से बहुत कुछ सीखा, पर उसे भारत के अनुकूल बनाने का विचार या तो लोगों को आया ही नहीं, या कभी आया भी तो वह व्यवहार में तो नहीं आया.

'भारत जैसे विविधतापूर्ण देश को चाहिये विविधतापूर्ण पाठ्यक्रम '

एक अरब से अधिक आबादी वाले इस देश के लिये क्या वही विषय एवम् पाठ्यक्रम उचित हैं जो आज़ादी के समय इंग्लैंड में थे? क्या भारत की हज़ारों वर्ष पुरानी संस्कृति एवम् विग्यान के पास ऐसा कुछ भी नहीं था कि उसे एक आधुनिक पाठ्यक्रम में ढाल कर विद्यार्थियों को दिया जा सके? क्या भारत में भी वही भौगोलिक, आर्थिक एवम् सामाजिक परिस्थितियाँ हैं जो एक छोटे से इंग्लैंड में थीं?

'क्या होना चाहिये विषयों को चुनने का आधार?'[]

'पाठ्यक्रम ऐसा हो जो विद्यार्थी के दैनिक जीवन में काम आये. '

वे कौन-कौन से विषय हैं जिनका ग्यान आज की परिस्थितियों में आवश्यक है? वे कौन-कौन सी चीज़ें हैं जिनकी आवश्यकता एक विद्यार्थी को अपने दैनिक जीवन में पड़ती है? हमारी इस नवीन शिक्षा प्रणाली में इन सब बातों का समावेश होना चाहिये.

पाठ्यक्रम ऐसा हो जो उसे आर्थिक सुरक्षा प्रदान करे, उसे व्यक्तिगत एवम् सामाजिक दृढ़ता प्रदान करे. विद्यार्थी का कैरियर उसकी क्षमताओं के अनुसार उच्चतम संभव स्तर पर ले जाया जाये. विद्यार्थी का शारीरिक, मानसिक एवम् आध्यात्मिक विकास हो. उसमें सतत् उन्नति की प्रेरणा बनी रहे. वह संस्कारित बने, व्यसनों से दूर रहे, सुखी, संतुष्ट, एवम् अंतर्विरोध-विहीन जीवन की ओर कदम बढ़ा सके.

'अनावश्यक सूचनाओं को रटवाने की प्रक्रिया बंद हो'

हम गणित एवम् भौतिकी आदि का एक बेहतर पाठ्यक्रम बनाने की बात तो करते हैं, पर यह प्रश्न कोई नहीं उठाता कि एक विद्यार्थी को पानी का फ़ॉर्मूला H2O रटवा कर आपने कौन सी उपलब्धि हासिल कर ली? इससे उस विद्यार्थी को क्या फ़ायदा हुआ? क्या उसकी आत्मिक उन्नति हुई? क्या वह किसी भी तरह से एक बेहतर इंसान बन पाया? क्या उसके कैरियर में सुधार हुआ?


'आवश्यक तत्वों का समावेश हो'

अधिकाँश वयस्क गणित के लम्बे-चौड़े फ़ॉर्मूले भूल चुके होंगे. इसके स्थान पर बहुत सारी ऐसी चीज़ें हैं जिनकी दैनिक जीवन में आवश्यकता पड़ती है, पर उनका पाठ्यक्रम में कोई स्थान नहीं. लोगों से बातचीत कैसे करी जाये, मुसीबतों का सामना करते हुए भी कैसे डटा रहा जाये, अपनी कार्यक्षमता एवम् गुणवत्ता कैसे बढ़ाई जाये, भोजन कैसा किया जाये, कब किया जाये, कितना किया जाये...इत्यादि, इत्यादि कितनी हीबातें हैं जो आज अत्यंत आवश्यक होते हुए भी पाठ्यक्रम से निष्कासित हैं

'क्या हैं जीवन के आवश्यक तत्व?'[]

अपनी संतान के लिये प्रायः माता-पिता की अनेक कामनायें होती हैं - भौतिक दृष्टि से एक अच्छा कैरियर, एक सुखी एवम् स्नेही परिवार, अच्छा सामाजिक व्यवहार; पद, प्रतिष्ठा एवम् वैभव. अनेक माता-पिता इतने से ही संतुष्ट हो जाते हैं, पर जागरुक अभिभावक इसके अतिरिक्त कामना करते हैं संतान के अच्छे शारीरिक एवम् मानसिक स्वास्थ्य की , संस्कारित विचार एवम् व्यवहार की तथा सतत् आध्यात्मिक उन्नति की.

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये आवश्यक विषयों की सूची कुछ इस प्रकार दिखेगी -

भाषाएँ

गणित

science

सामाजिक विग्यान

ललित कलाएँ

योग एवम् आध्यात्म

हमारा स्वास्थ्य

Advertisement